कल पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग में स्कूल जाना हुआ। उसी स्कूल में जहाँ से मैंने नवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई की। और एक नाकारा स्टूडेंट के रूप में पासआउट हुआ।
ये पहला मौका था इस तरह की मीटिंग में जाने का।गजब माहौल था। बच्चों के पिता तो कम माताएं ही अधिकतर आई थी। पिताओं के पास फीस चुकाने के अलावा किसी और भागीदारी का समय ही कहाँ लेकिन बेटा/बेटी अधिकारी से कम न बने।
चलिए आगे के खुशनुमा नाजरे देखिये- माताओं के मीटिंग हॉल में घुसते ही महिला शिक्षकों का झुंड यह सिद्ध करने में जुटा है कि जिस बच्चे के साथ वो आई हैं वह दुनिया का सबसे नाकारा बच्चा है। वह सिर्फ अवगुणों से भरा है।
- उसका वर्क कभी पूरा नहीं रहता
- क्लास में कभी जवाब नहीं देता
- ऊटपटांग सवाल करता है
- उसकी शैतानियाँ बर्दास्त के बाहर हैं
- फ्रेंडशिप गंदे बच्चों से है
- बात करने का तरीका बहुत गंदा है...ब्ला...ब्ला...ब्ला।
इन सब उलाहनों के बीच बच्चों से टूटी फूटी अंगरेजी में बात। ताकि साथ आई माँ डर जाएं और मैडम से हिंदी में कोई सवाल न कर सकें। बात जी जी जी...तक रह जाए। अरे मैडम ये मीटिंग क्या सिर्फ उलाहना देने के लिए बुलाई थी। इस पर भी कुछ बात कर लेते कि बच्चे में अगर कोई कमजोरी है तो कैसे उसकी मदद की जाए।
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एक और नजारा- एक मैथ्स के शिक्षक, जिन्होंने मुझे भी पढ़ाया। प्रवचन दे रहे थे, मुझे 16 साल पढ़ाने का अनुभव है। मुझे क्लास के हर बच्चे का लेवल पता है। आपकी लड़की एवरेज है पर आगे जा सकती है अगर मेहनत करे। अरे क्लास के कुछ बच्चे तो बहुत टैलेंटेड हैं। उस लड़की का क्या नाम है...हाँ कम हाइट वाली। हां... बहनजी अगर वो लड़की न आए तो क्लास में पढ़ाने में मजा ही नहीं आता। क्या दिमाग है उसका। सवाल बोर्ड पे लिखा नहीं की फट से सॉल्व।
...अरे गुरु घंटाल...फिर तुम उसे क्या पढ़ा और सिखा रहे हो। वो तो खुद ही टैलेंटेड है। अगर ये एवरेज और वीक वाली ऐसा कर दिखाएँ तो सीना चौड़ा करो। इनको सिखाने में मजा क्यों नहीं लेते...मजा...!
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वैसे यह कहानी अधिकतर संस्थानों की है। सारा ध्यान उन बच्चों पर है जो तेज हैं न कि कमजोर को सपोर्ट करने में। कारण, बोर्ड एग्जाम मेरिट में सिर्फ वही इनका सिर ऊंचा करेंगे। एवरेज और कमजोर वाले तो नाकारा हैं...नाकारा।
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हालाँकि एक कोने में बैठा बुड्ढा इतिहास कुछ और ही कह रहा है... वो कहता है, जिन्हें इन सो कॉल्ड शिक्षकों ने नाकारा घोषित कर दिया। वो बच्चे सफलता के फलक पर तारा बनकर चमके हैं। उनके आविष्कारों ने दुनिया को राह दिखाई है।
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ऐसा है क्या...। मतलब वो E= mc2 वाला भी नाकारा था क्या। अच्छा तो वो हवाई जहाज वाले दोनों भाई। अरे वो जिसके सिर पर सेब गिरा था। और वो बल्ब वाला। अच्छा और भी बहुत सारे आविष्कार और खोज करने वाले ऐसे ही हैं।
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नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। स्कूल में तो हमें ऐसा नहीं बताया गया। सर और मैम तो कहते थे वो सब बहुत महान थे।
(*Parts of artwork have been borrowed from the internet, with due thanks to the owner of the photograph/art)
ये पहला मौका था इस तरह की मीटिंग में जाने का।गजब माहौल था। बच्चों के पिता तो कम माताएं ही अधिकतर आई थी। पिताओं के पास फीस चुकाने के अलावा किसी और भागीदारी का समय ही कहाँ लेकिन बेटा/बेटी अधिकारी से कम न बने।
चलिए आगे के खुशनुमा नाजरे देखिये- माताओं के मीटिंग हॉल में घुसते ही महिला शिक्षकों का झुंड यह सिद्ध करने में जुटा है कि जिस बच्चे के साथ वो आई हैं वह दुनिया का सबसे नाकारा बच्चा है। वह सिर्फ अवगुणों से भरा है।
- उसका वर्क कभी पूरा नहीं रहता
- क्लास में कभी जवाब नहीं देता
- ऊटपटांग सवाल करता है
- उसकी शैतानियाँ बर्दास्त के बाहर हैं
- फ्रेंडशिप गंदे बच्चों से है
- बात करने का तरीका बहुत गंदा है...ब्ला...ब्ला...ब्ला।
इन सब उलाहनों के बीच बच्चों से टूटी फूटी अंगरेजी में बात। ताकि साथ आई माँ डर जाएं और मैडम से हिंदी में कोई सवाल न कर सकें। बात जी जी जी...तक रह जाए। अरे मैडम ये मीटिंग क्या सिर्फ उलाहना देने के लिए बुलाई थी। इस पर भी कुछ बात कर लेते कि बच्चे में अगर कोई कमजोरी है तो कैसे उसकी मदद की जाए।
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एक और नजारा- एक मैथ्स के शिक्षक, जिन्होंने मुझे भी पढ़ाया। प्रवचन दे रहे थे, मुझे 16 साल पढ़ाने का अनुभव है। मुझे क्लास के हर बच्चे का लेवल पता है। आपकी लड़की एवरेज है पर आगे जा सकती है अगर मेहनत करे। अरे क्लास के कुछ बच्चे तो बहुत टैलेंटेड हैं। उस लड़की का क्या नाम है...हाँ कम हाइट वाली। हां... बहनजी अगर वो लड़की न आए तो क्लास में पढ़ाने में मजा ही नहीं आता। क्या दिमाग है उसका। सवाल बोर्ड पे लिखा नहीं की फट से सॉल्व।
...अरे गुरु घंटाल...फिर तुम उसे क्या पढ़ा और सिखा रहे हो। वो तो खुद ही टैलेंटेड है। अगर ये एवरेज और वीक वाली ऐसा कर दिखाएँ तो सीना चौड़ा करो। इनको सिखाने में मजा क्यों नहीं लेते...मजा...!
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वैसे यह कहानी अधिकतर संस्थानों की है। सारा ध्यान उन बच्चों पर है जो तेज हैं न कि कमजोर को सपोर्ट करने में। कारण, बोर्ड एग्जाम मेरिट में सिर्फ वही इनका सिर ऊंचा करेंगे। एवरेज और कमजोर वाले तो नाकारा हैं...नाकारा।
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हालाँकि एक कोने में बैठा बुड्ढा इतिहास कुछ और ही कह रहा है... वो कहता है, जिन्हें इन सो कॉल्ड शिक्षकों ने नाकारा घोषित कर दिया। वो बच्चे सफलता के फलक पर तारा बनकर चमके हैं। उनके आविष्कारों ने दुनिया को राह दिखाई है।
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ऐसा है क्या...। मतलब वो E= mc2 वाला भी नाकारा था क्या। अच्छा तो वो हवाई जहाज वाले दोनों भाई। अरे वो जिसके सिर पर सेब गिरा था। और वो बल्ब वाला। अच्छा और भी बहुत सारे आविष्कार और खोज करने वाले ऐसे ही हैं।
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नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। स्कूल में तो हमें ऐसा नहीं बताया गया। सर और मैम तो कहते थे वो सब बहुत महान थे।
(*Parts of artwork have been borrowed from the internet, with due thanks to the owner of the photograph/art)
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