शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

Harshad Mata Temple of Abhaneri Destroyed by Mohammad Gazni


... ओ गजनी! इन कला कृतियों को तोड़कर तुझे क्या मिला बे
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(भाग-3)
राणा सांगा के अदम्य साहस को सलाम कर अब हमें आभानेरी की ओर रुख करना है। दरअसल हम अलवर से निकले ही आभानेरी के लिए हैं। लेकिन रास्ते में एक झरना देखने की चाहत ने यादों की गठरी में कितना कुछ बांध दिया।
खैर हमरी बाइकें मेगा हाईवे की ओर चल दी हैं। हमने फैसला किया है कि अब आभानेरी से पहले नहीं रुकना है। क्योंकि शाम पांच बजे वापस ऑफिस भी पहुंचना है। मेगा हाईवे मिलते ही बाइक महाराणा प्रताप के चेतक की तरह हवा से बात करने लगीं। कुछ देर चलकर अब हम बांदीकुई के नजदीक पहुंच गए हैं। लेकिन यहां असमंजस है। आगे दो रास्ते हैं। एक तो मेगा हाईवे और दूसरा शहर की ओर कटा है। साथी राजकमल हाईवे पार कर आगे का रास्ता पूछ रहे हैं। इसी दौरान एक बाइक सवार को रोककर मैं भी रास्ता पूछ रहा हूं। लेकिन असमंजस अब भी बरकरार है। क्योंकि राजकमल को मेगा हाईवे पर बढ़ने को कहा गया जबकि मुझे बताने वाले ने कहा है कि मेगा हाईवे से जाने पर कोई 5 से 7 किलोमीटर का फेर है। मुझे रास्ता बताने वाले बाइक सवार सज्जन यह कह कर आगे बढ़ गए कि अगर शहर के रास्ते से जाना हो तो उनके पीछे आ जाऊं। हालांकि मेरा मन देख साथी अंदर वाले रास्ते पर ही चल दिए हैं। मैंने बाइक की रफ़्तार बढ़ा कर बाइक वाले सज्जन का साथ पकड़ लिया है। इस रास्ते को चुनने के पीछे मेरा लालच यह था कि इसी बहाने एक झलक बांदीकुई की भी मिल जाएगी। हालांकि रास्ते में पड़ी दो रेलवे क्रासिंग, ट्रैफिक और शहर से निकल कर मिली खराब सड़क के चलते साथी थोड़ा असंतुष्ट हैं और मेरे चेहरे पर हल्का ग्लानि भाव। हालांकि मन में बांदीकुई की झलक पाने की खुशी ही है।
ऊबड़-खाबड़ रास्ते और मिट्टी के टीलों के बीच से होते हुए हम आभानेरी पहुंच गए हैं। इस रास्ते ने हमें ठीक एक बड़े चबूतरे पर बने एक मंदिर के सामने लाकर खड़ा किया है। गौर से देखने पर पता चला कि यह हर्षद माता का मंदिर है। देखने से प्राचीन लग रहा है। अंदर प्रवेश कर लगे बोर्ड को पढ़ने से पता चल रहा है कि महामेरु शैली के इस मंदिर का निर्माण 7वीं-8वीं शताब्दी में आभानगरी के शासक चौहान वंशीय राजा चांद ने कराया था। इस मंदिर की आभा की कीर्ति देश नहीं दूर-दूर तक फैली थी। इसके बाद सीढ़ियों के सहारे हम मंदिर के पहले तल पर पहुंच गए। अपने इर्द-गिर्द शिल्प कला की संपदा का सागर देख अभिभूत हो गया हूं। इस विधा के बारे में कोई जानकारी नहीं होने पर भी इन कला कृतियों को निहारने की ललक है। इनके करीब जाकर देखता हूं। एक को देखा, दो-तीन-चार लगभग सभी। ये क्या...। ये तो सभी किसी न किसी रूप में खंडित प्रतीत हो रही हैं। पहले तल पर मंदिर की पूरी परिक्रमा कर ली। लगभग सभी कृतियों को देख लिया। जिनमें यक्ष-यक्षनियों, नाग-नागिन, प्रेम श्रृंगार, नृत्य, संगीत का आनंद लेते नायक-नायिकाओं सहित धार्मिक व लौकिक कृतियां शामिल हैं। गौर से मंदिर को देखने और आसपास बिखरी खंडित कृतियों को देख मन में मंदिर के साथ पूर्व में किसी प्रकार की बर्बरता किए जाने की आशंका उठ रही है। इसी बीच हम मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच गए। यहां बुजुर्ग पुजारी से मैंने पूछ ही लिया कि पुजारीजी, अधिकतर कृतियां खंडित प्रतीत हो रही हैं। क्या ये खंडित की गई हैं। वे मेरी ओर गौर से देखते हैं और भाव शून्य चेहरे के साथ कहते हैं, हां। मैने पूछा किसने किया यह। बोले 10-11वीं शताब्दी में महमूद गजनी ने इस मंदिर को धवस्त करवा दिया था। यहां लगी हर मूर्ति, कलाकृति को खंडित करवा दिया। यह सुनकर मेरा मुख गुस्से से लाल हो रहा है।
मन में चल रहा है कि अगर गजनी को लूटपाट ही करनी थी करता, बहुमूल्य चीजों को साथ ले जाता। लेकिन कलाकरों की वर्षों की मेहनत को इस तरह तबाह कर क्या मिला होगा उसे...। और 600 वर्षों के बाद ऐसी ही बर्बरता कर क्या मिला होगा औरंगजेब को...। हां हमें जरूर कुछ मिला है। नफरत... धार्मिक उन्माद...। जिसकी खाई में देश और हर देशवासी के विकास का एजेंडा लगातार दफन होता आ रहा है। अतीन के इन काले अध्यायों की बदौलत ही आज भी हमारे देश की राजनीति सिर्फ मजहबी तुष्टीकरण तक सिमट कर रह गई है। किसी का भूख से तड़प कर मर जाना आज भी कोई मुद्दा नहीं है।
खैर पुजारी से और बात करने पर वे बताते हैं कि मंदिर को प्राचीन मंदिर के अवशेषों से पुन: बनाया गया है। इसमें लगी प्राचीन मूर्ति भी चोरी हो गई है। मंदिर में लगी हर्षद माता की मूर्ति पुनस्र्थापित की गई है। पुजारीजी से मस्तक पर चंदन का टीका लगवाकर प्रसाद पाकर हम मंदिर से नीचे की ओर चल दिए हैं। लेकिन जैसे ही आसपास बिखरी बर्बरता की कहानी कह रही खंडित प्रतिमाओं पर नजर पड़ी, माथा थोड़ा गर्म हो गया है। जिसे चंदन का टीका भी शीतल नहीं रख पा रहा है।
मंदिर से उतरते ही सामने रास्ता है उस प्राचीन बावड़ी का जो हमें 70 किलोमीटर दूर से खींच लाई है...।
क्रमशः...

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